अब की नदियाँ ….

मान सरोवर किसने देखा ? जिसने खीसे में गाँधी है ठूसा मै तो जिसे देखता हूँ वो मेरे शहर की गोमती है जहाँ धोबी कपड़े धोता है जहाँ लाशें बहती हैं… मैने कभी उसमें कोई कमल दल नही देखा नौका सैर पे निकला था__ बीच धारे मरा कुत्ता बहता देखा मैले कपड़ो की गट्ठर देखा […]